गुजरात में संपन्न हुई 36 किलोमीटर पैदल चाल में पायल में इस दूरी को तय करने के लिए 3 घंटे 11 मिनट और 23 सेकेंड का समय लिया।
राष्ट्रीय खिलाड़ी पायल की पारिवारिक पृष्ठभूमि
काशीपुर की बिटिया पायल के पिता श्री मुन्नी लाल करीब 30 वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के देवरिया से सपरिवार काशीपुर में ही स्थाई रूप से रहने आ गए थे और एक फार्म हाउस में साधारण सी नौकरी करने लगे। कुछ साल पहले ही उन्होंने भीम नगर की लेबडा कॉलोनी में अपना साधारण सा घर बनाया था। अत्यंत ही अभाव में पली इस बिटिया ने कुछ कर गुजरने की ठान कर काशीपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम में जाना शुरू कर दिया। कहते हैं की जब तक हीरे को तराशा नहीं जाए तो उसकी कदर नहीं होती। हर इंसान को health is wealth की सोच रखनी चाहिये !
पायल की सफलता में राष्ट्रीय चैंपियन साईं कोच की अहम भूमिका
पायल में प्रतिभा थी तो काशीपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम में पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन साईं कोच श्री चंदन सिंह नेगी जैसे अत्यंत ही अनुभवी शिल्पकार भी थेे। पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन साई कोच की पारखी निगाह जब पायल पर पड़ी तो उन्हें यह विश्वास हो गया की एक दिन यह लड़की काशीपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम तथा उत्तराखंड का नाम देश में अवश्य ही रोशन करेगी। उन्होंने धीरे धीरे इस प्रतिभावान खिलाड़ी को पैदल चाल इवेंट के लिए तैयार करना शुरू कर दिया और इसका अत्यंत उत्सााहजन परिणाम भी सामनेे आयाा जब पायल ने ओपन नेशनल गेम्स में कांस्य पदक जीत लिया।
इसके बाद पायल ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में सिल्वर मेडल, ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में उसमें कांस्य पदक सहित 6 पदक जीत लिए।
इस बीच ही पायल के कोच श्री चंद्र सिंह नेगी ने ओलंपियन श्री गुरमीत सिंह को पायल के बारे में बताया और साईं को भी उनके बारे में पता चला। फिर पायल को बंगलुरु से एक्सीलेंस सेंटर से बुलावा आ गया वहां पर ओलंपियाड श्री गुरुमीत सिंह ने उनको प्रशिक्षित किया।
काशीपुर महानगर तथा काशीपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम में छाई खुशी की लहर कई जगह मिष्ठान का वितरण भी किया गया
अत्यन्त ही संघर्षपूर्ण जीवन जीते हुए तथा अनेक समस्याओं से जो जूझते हुए काशीपुर की इस विलक्षण बिटिया पायल की सफलता को सुनकर स्पोर्ट्स स्टेडियम काशीपुर तथा काशीपर महानगर की जनता के साथ ही पूरे उत्तराखंड में खुशी की लहर दौड़ गई। काशीपुर में जगह जगह लोगों ने एक दूसरे को मुंह मीठा करवाया और जनता में मिष्ठान का वितरण भी किया गया। पायल के इस शानदार व जानदार प्रदर्शन से उत्तराखंड राज्य ओलंपिक संघ अत्यंत ही गदगद है। उत्तराखंड राज्य ओलंपिक संघ के महासचिव श्री डी के सिंह ने बताया की उत्तराखंड राज्य के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।
पायल ने खुद को साबित किया अब बारी उत्तराखंड राज्य सरकार की
काशीपुर महानगर की बिटिया पायल ने अनेक संघर्षों से जूझते हुए खुद को साबित किया तथा उत्तराखंड राज्य का नाम पूरे देश में रोशन किया। अब बारी उत्तराखंड राज्य सरकार की है, राज्य सरकार को भी अपनी जिम्मेदारी तथा खेलों को बढ़ावा देने की नीति को ध्यान में रखते हुए इस बिटिया को सम्मानित करना चाहिए तथा उसको आर्थिक सहायता भी देने के साथ स्थाई सरकारी नौकरी भी अवश्य ही देनी चाहिए। ऐसी हर संभव सुविधा देनी चाहिए जिससे यह खिलाड़ी ओलंपिक में भी गोल्ड मेडल जीत कर आए।
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