jivan ke Safar mein Vaishno mata ke darshan ka saubhagya prapt hua

अपनी Biography की आज की पोस्ट में मैं जीवन के सफर | journey of life में माता वैष्णो देवी की प्रथम यात्रा के बाबत सच्ची व वास्तविक जानकारी दूंगा, और यात्रा संबंधित कुछ महत्वपूर्ण अनुभव आप सभी के साथ सांझा करूंगा। मेरे यह जिंदगी के अनुभव माँ वैष्णो देवी के दर्शन के लिये जाने वाले माँ के  भक्तों के लिये उपयोगी साबित हो सकते हैं। मां भगवती की असीम कृपा से मुझे भी कई बार माता वैष्णो देवी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ।


वैष्णो देवी से संबंधित कुछ अहम जानकारी

maa vaishno devi mandir भारत के जम्मू और कश्मीर में स्थित है। माता वैष्णो देवी के दर्शन करने हेतु इस मंदिर में जाने हेतु यात्रा कटरा शहर से शुरू होती है। माता वैष्णो देवी का मंदिर त्रिकुटा नामक पहाड़ पर स्थित है। कटरा से वैष्णो देवी की चढ़ाई लगभग 12 से 13 किलोमीटर तक की है। इस चढ़ाई में लगभग 3200 से अधिक सीढ़ी हैं, और आमतौर पर इस यात्रा को पूरा करने के लिए 3 से 5 घंटे तक लग जाते हैं, जोकि हर व्यक्ति की चाल और शारीरिक क्षमता के आधार पर अलग अलग हो सकता है। हिंदू धर्म मान्यता के अनुसार माता वैष्णो देवी को माता त्रिकुटा, माता वैष्णवी, मां आदिशक्ति दुर्गा स्वरूप, शेरा वाली आदि के नाम से भी बुलाया जाता है। 

वैष्णो देवी मंदिर में आदि स्वरूप महालक्ष्मी, महासरस्वती तथा महाकाली पिंडी रूप में त्रेता युग से विराजमान है। वैष्णो देवी माता स्वयं अपने निराकार रूप में यहां पर विराजमान हैं। हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथों के हिसाब से माता वैष्णो देवी का मंदिर 108 शक्तिपीठ में भी शामिल है। यह मंदिर उत्तर भारत के सबसे ज्यादा पूजनीय हिंदुओं के स्थानों में से एक है। प्रतिवर्ष लाखों तीर्थयात्री इस मंदिर में आकर मां भगवती के दर्शन करते हैं। 

माता वैष्णो देवी के मंदिर के देखरेख श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ मंडल नामक न्यास द्वारा की जाती है। ऐसा माना जाता है की माता वैष्णो देवी के प्रहरी पवन पुत्र हनुमान जी हैं और हनुमान के साथ ही भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले भैरव बाबा भी हैं। उत्तर भारत में ही माता वैष्णो देवी के अलावा सहारनपुर की शिवालिक पहाड़ियों में स्थित माता शाकुंभरी देवी सबसे प्राचीन सिद्ध पीठ है। 

ऐसा माना जाता है कि दुनिया का कोई भी khatarnak bhoot या khatarnak bhutni माता वैष्णो देवी के भक्तों का बाल भी बांका नहीं कर सकते।



दोस्तों , 
           जैसे कि मैं Funda of life में पूर्व में ही अपनी विभिन्न पोस्टों में अपने बारे में काफी विस्तार से बता चुका हूं कि किस तरह मुझे छोटी उम्र में ही घर से काफी दूर जाकर अकेले ही दुकान करनी पड़ी और जिंदगी के तमाम उतार-चढ़ाव और झंझावात को झेलते हुए मेरी जिंदगी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। हमने बचपन से ही अपने घर परिवार में तथा रिश्तेदारों से माता वैष्णो देवी के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था, तथा मन में दबी हुई यह एक इच्छा थी की जीवन में एक बार मुझे जम्मू कश्मीर में स्थित माता वैष्णो देवी के दरबार में माथा टेकने और उनका आशीर्वाद लेने अवश्य ही जाना है।

जीवन के सफर में माता वैष्णो देवी | mata vaishno devi के दर्शन हेतु मेरी प्रथम यात्रा

यमुनानगर में अकेले रहने के दौरान मुझे ना जाने क्यों एक दिन माता वैष्णो देवी के दरबार में जाने का ख्याल आया और  Vaishno Devi | वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए मेरा मन बहुत ही उतावला और बेचैन हो गया । मेरे मन से बार-बार आवाज आ रही थी चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है, और मैंने तुरंत ही जम्मू कश्मीर में मां भगवती के दरबार में माथा टेकने हेतु जाने का फैसला कर लिया।

वैष्णो देवी मंदिर | vaishno devi mandir जाने का फैसला कर लेने के बाद मैंने अपने कई दोस्तों को वहां साथ जाने के लिए कहा, मगर दोस्तों की आर्थिक परिस्थितियां कुछ ऐसी थी कि उस समय वह माता वैष्णो के मंदिर में दर्शन करने हेतु जाने में असमर्थ थे।

maa vaishno devi mandir जाने हेतु टिकट का रिजर्वेशन करवाने यमुनानगर रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया 

जिंदगी के सफर में Shri mata vaishno devi के दर्शन हेतु मेरे साथ जाने के लिए जब कोई भी तैयार नहीं हुआ, तब भी मैंने दृढ़ संकल्प व फौलादी हौसला दिखाते हुए माता वैष्णो देवी जी के मंदिर में अकेले ही जाने का फैसला कर लिया, उस वक्त मेरी उम्र लगभग 20 वर्ष थी। मैं यमुनानगर में रेलवे स्टेशन पर जम्मू कश्मीर में जाने के लिए रिजर्वेशन करवाने पहुंचा, तो पता चला की ट्रेन में लगभग 1 महीने तक की रिजर्वेशन फुल है, तथा 1 महीने बाद ही रिजर्वेशन की तारीख का टिकट मिल सकता है। मैं बहुत दुविधा में पड़ गया, क्योंकि मेरे लिए 1 महीने तक इंतजार करना बहुत ही मुश्किल हो रहा था, वहां जाने की बेचैनी हद से ज्यादा हो रही थी। 

आखिर में मैंने बिना रिजर्वेशन ही ट्रेन के द्वारा   vaishno devi temple jammu kashmir  जम्मू तक का सफर तय करने का फैसला कर लिया, और आगामी यात्रा की तैयारी करने हेतु उत्साह से भरकर रेलवे स्टेशन से अपने घर वापिस आ गया।


 सफर हेतु सफर बैग तैयार किए

वैष्णो देवी मंदिर के बारे में बचपन से ही अपने मम्मी पापा, रिश्तेदारों और मिलने जुलने वाले लोगों से बहुत कुछ सुन रखा था, तथा यह भी  सुना था की vaishno devi weather बहुत ही अनिश्चित होता है तथा temperature in vaishno devi काफी कम होता है, तथा मां वैष्णो देवी के भवन पर बहुत ठंड होती है, क्योंकि वह बहुत ऊंचे पहाड़ों पर स्थित है।

 मैंने सफर हेतु तीन सफर बैग तैयार किए। एक काफी बड़ा बैग था, दूसरा मीडियम साइज का  और तीसरा बैग कुछ छोटा था। मैंने कंबल, चादर, स्वेटर, मफलर, टोपी, दस्ताने, चप्पल की जोड़ी, 2 जोड़ी जूते व  बहुत सारे कपड़े, तेल की शीशी, पाउडर का डिब्बा, दर्पण और कुछ आवश्यक सामग्री और दवाई आदि इसमें  भर लिए, क्योंकि मुझे यह जानकारी नहीं थी कि इस सफर में कितने दिन लग जाएंगे, और इसमें मुझे कितने दिन का जिंदगी का सफर करना पड़ेगा। मेरे तीनों सफर बैग में लगभग 50 किलो वजन हो गया था।


वैष्णो देवी दर्शन हेतु मेरी यात्रा का प्रारम्भ 

मैं दूसरे दिन शाम को लगभग 5:00 बजे अपनी दुकान से तीनों ही सफर बैग लेकर माता वैष्णो देवी की यात्रा हेतु रवाना हो गया। दुकान से रेलवे स्टेशन जाने हेतु मैंने किराए पर ऑटो ले लिया था। लगभग 6:00 बजे के आसपास मैं यमुनानगर रेलवे स्टेशन के अंदर टिकट लेकर प्रवेश कर गया था। वहां से ट्रेन का टाइम लगभग 6:30 के आसपास था।

 मेरे पास साधारण क्लास का टिकट था, परंतु मैं ट्रेन में  रिजर्वेशन वाले डिब्बे में चढ़ गया। मैंने टीटी से प्रार्थना की कि मुझे कोई सीट दिलवा दे, मगर टीटी ने बताया कोई भी सीट खाली नहीं है और मुझे जनरल डिब्बे में जाना पड़ेगा, थोड़ा प्रयत्न और प्रार्थना करने पर और परिस्थिति बताने पर टीटी ने मुझे उसी रिजर्वेशन के डिब्बे में रहने की परमिशन दे दी।

 सफर बहुत लंबा था और किसी की सीट पर पूरी रात बैठा नहीं जा सकता था। इसलिए मैंने डिब्बे के फर्श पर अखबार बिछाई और उस पर चादर बिछा कर आराम से सो गया और मेरा जम्मू तक का सफर शुरू हो गया। दूसरे दिन सुबह लगभग 11:00 बजे के आसपास ट्रेन जम्मू पहुंच गई और मैं भी ट्रेन से उतर कर जम्मू स्टेशन पर नहा धोकर, पेस्ट करके चाय पी कर स्टेशन से बाहर आ गया।

वैष्णो देवी मंदिर | vaishno devi mandir जाने के लिए जम्मू से कटरा तक का सफर

मुझे पहले यह जानकारी थी की माता वैष्णो देवी मंदिर जम्मू में स्थित है, मगर जम्मू पहुंचकर मुझे इस बात की जानकारी हुई की अभी हमें जम्मू से कटरा तक की यात्रा करनी पड़ेगी और यह यात्रा बस से या ऑटो से हो सकती है। कटरा तो वैष्णो देवी वय ऑटो किराया और बस के किराए में फर्क होता है। मैंने जम्मू से कटरा तक की यात्रा बस से करने का फैसला किया और जम्मू स्टेशन से बाहर कुछ दूरी से मैंने कटरा जाने के लिए एक बस पकड़ ली और मेरा कटरा का सफर शुरू हो गया। सफर के दौरान लगभग 1 घंटे बाद बस एक ढाबे पर जाकर रुक गई वहां पर मैंने खाना खाया और चाय भी पी। लगभग आधा घंटा रुकने के बाद बस फिर से कटरा के लिए रवाना हो गई। कटरा बस स्टॉप पर पहुंचकर मैं अपने सफर बैग के साथ बस स्टॉप से बाहर आ गया।

वैष्णो देवी में रहने की व्यवस्था

मुझे घर से निकले हुए लगभग 24 घंटे हो चुके थे और मुझे विश्राम की आवश्यकता महसूस हुई, मैंने जम्मू रेलवे स्टेशन पर ही इस बाबत जानकारी जुटाई थी और मिली हुई जानकारी के अनुसार मुझे किसी धर्मशाला या होटल में रुकना था। मैं कटरा बस स्टेशन से बाहर आकर धीरे-धीरे वैष्णो देवी मार्ग पर चलने लगा और थोड़ी थोड़ी देर बाद आने जाने वाले लोगों से पूछता,
 कि रुकने के लिए यहां पर धर्मशाला कहां है?

मुझे बार-बार एक ही जवाब मिलता कि यहां से थोड़ी दुरी  पर धर्मशाला या होटल मिल जाएगा। धीरे धीरे चलते हुए मुझे वैष्णो देवी जाने वाले मार्ग पर अंततः यह ज्ञात हुआ की धर्मशाला और होटल बहुत पीछे रह चुके हैं। मैं यात्रा में vaishno devi yatra parchi in hindi पहले ही कटवा चुका था, क्योंकि यात्रा के लिए यह पर्ची बहुत ही महत्वपूर्ण होती थी और मां वैष्णो देवी के दर्शन | vaishno mata ke darshan के समय यह पर्ची दिखानी पड़ती थी। 
अब मेरी हालत यह थी की मैं बिना किसी विश्राम के लगभग 50 किलो वजन वाले 3 सफर बैग के साथ यात्रा कर रहा था। कटरा से वैष्णो देवी मंदिर की चढ़ाई वैसे भी लगभग 13 किलोमीटर है और यह बहुत कठिन चढ़ाई है, जोकि आमतौर पर दर्शनार्थी खाली हाथ ही चढ़ना पसंद करते हैं। मगर मेरी हालत बिल्कुल विपरीत थी। मगर वैष्णो देवी मंदिर जाने का उत्साह और कुछ जवानी का जोश ने सारी परेशानियों को भुला दिया और मैं बिना थके बिना रुके अपनी मंजिल की तरफ बढ़ता चला गया, बढ़ता ही चला गया।


T series कंपनी के मालिक स्वर्गीय श्री गुलशन कुमार द्वारा चलने वाले भंडारे में भोजन व प्रसाद ग्रहण किया

कटरा से Mata Vaishno Devi Mandir की यात्रा में चढ़ाई चढ़ते हुए मार्ग में टी सीरीज कंपनी के मालिक और माता वैष्णो देवी के सच्चे भक्त  स्वर्गीय श्री गुलशन कुमार द्वारा लगातार 24 घंटे चलने वाले भंडारे में भोजन ग्रहण और प्रसाद ग्रहण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। संपूर्ण भोजन और हलवे का प्रसाद शुद्ध देसी घी में बना हुआ था। बहुत ही स्वादिष्ट था, जिसका स्वाद मैं आज भी भुला नहीं पाया। भोजन का प्रसाद ग्रहण करने के बाद मैं पुनः अपने आगे के सफर में रवाना हो गया।


माता अर्धकुमारी के भवन पर मैंने रात्रि विश्राम किया

माता वैष्णो देवी मार्ग में सभी भक्त माता के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे। जय माता दी, जय माता दी करदा जा पौड़ी पौड़ी चढ़ता जा आदि कई तरह के माता के जयकारे लगाए जा रहे थे। मेरे होठों से भी लगातार माता के जयकारे निकल रहे थे और दिल दिमाग में अद्भुत सी शांति महसूस हो रही थी।

Mata Vaishno Devi mandir में जानें के लिए मार्ग में चढ़ाई चढ़ते हुए मुझे कई घंटे हो चुके थे, और मैं बुरी तरह से थक गया था। अब मैं मार्ग में माता अर्धकुमारी के भवन पर पहुंच गया था। मैंने रात्रि को वहीं पर रुकने का फैसला किया। मैंने अपने तीनों सफर बैग क्लॉक रूम में जमा करवाएं तथा वही भवन से कंबल लेकर जमीन पर बिछाकर तथा ऊपर ओढ़ कर सो गया। उस समय जबरदस्त ठंड थी तथा हाथ पैर ठंड से बुरी तरह से कांप रहे थे, सफर की थकान से मेरा जिस्म बुरी तरह से टूट रहा था। सोने के बाद मुझे कुछ भी होश नहीं रहा। दूसरे दिन सुबह मेरी नींद खुली और मैंने वही भवन में ही स्नान किया तथा चाय पी कर नाश्ता कर पुनः अपने यात्रा मार्ग पर आगे बढ़ गया।


माता वैष्णो देवी के दर्शन

मैं शाम के समय माता के भवन से लगभग 1 किलोमीटर दूर था, वहां पर मैं रुका व नहा धोकर तरोताजा हुआ। उस दिन वहां पर जबरदस्त भीड़ थी जो जल्द से जल्द वैष्णो देवी के दर्शन के लिए उतावली थी । थोड़ा आगे चलकर भवन से पहले मैंने क्लॉक रूम में अपने सफर बैग को जमा कर दिया और माता वैष्णो देवी की गुफा में जाने के लिए लाइन में लग गया।

 हजारों की भीड़ लाइन में पहले से ही लगी हुई थी। कई घंटों बाद लगभग रात्रि के 12:00 बजे vaishno devi gufa से जाकर मुझे माता वैष्णो देवी के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वैष्णो देवी गुफा में प्रवेश करने से पूर्व ही वहां पर मौजूद पुलिस वालों ने हमारी बैल्ट और पर्स निकालकर साइड में रख दिए थे, क्योंकि वैष्णो माता के दर्शन हेतु  यह चीजें ले जाना माता के भवन में अलाउड नहीं था।

मां वैष्णो देवी के दर्शन कर मेरा मन प्रफुल्लित हो गया। देवी दर्शन से दिल दिमाग में एक अद्भुत शांति सी महसूस हुई और ऐसा लगा जैसे आज मुझे जीवन में बहुत कुछ नया प्राप्त हुआ है।

 माता के दर्शन करने के बाद मैंने लगभग 2 घंटे वहां पर विश्राम किया और माता के भवन से वापस अपने सफर बैग के साथ जम्मू आने के लिए निकल पड़ा। वहां पर मुझे पता चला था की भैरव मंदिर भी बहुत ऊंचाई पर स्थित है, तथा भक्त लोग माता रानी का दर्शन करने के बाद में भैरव मंदिर बाबा भैरवनाथ का दर्शन करने हेतु जरूर जाते हैं, इच्छा तो मेरी भी बहुत थी, मगर मुझे बहुत भारी थकान हो चुकी थी और मेरे पास सफर बैग का वजन भी बहुत ज्यादा था, जिसके कारण मैं चाह कर भी बाबा भैरव नाथ के दर्शन करने नहीं जा पाया।

 अब मेरा पूरा ध्यान घर वापसी पर था। यात्रा के मार्ग में वापसी का सफर मैंने बिना रुके पूरा किया। रास्ते में प्रसाद हेतु बहुत से अखरोट, बदाम और कन्याओं हेतु देने हेतु कुछ समान ले लिया था। कटरा से बस से मैं जम्मू रेलवे स्टेशन पर लगभग 1:00 बजे तक पहुंच गया था।


वापसी की ट्रेन निरस्त होने के कारण मुझे पूरी रात खड़ा होकर वापसी का सफर करना पड़ा

जब मैं यमुनानगर से यात्रा पूरी करके जम्मू रेलवे स्टेशन पर पहुंचा था, तो मैंने वापसी हेतु अपने टिकट का रिजर्वेशन करवा दिया था और ट्रेन का टाइम शाम  लगभग 7:00 बजे के आसपास था। यात्रा पूरी करके दोपहर लगभग 1:00 बजे जम्मू जंक्शन पर पहुंचा तो मुझे बेहद थकान और नींद आ रही थी। मैं वही रेलवे जंक्शन पर कंबल ओढ़ कर सो गया, बहुत गहरी नींद आई और शाम को लगभग 6:30 बजे के आसपास बहुत ज्यादा शोरगुल से मेरी नींद खुल गई।

 मैंने घड़ी देखी और ट्रेन की बाबत पता किया। कुछ देर बाद पता चला कि जिस ट्रेन से मैंने वापसी का टिकट बुक कराया था, किन्ही  कारणों से वह ट्रेन आज निरस्त कर दी गई है। मेरी हालत खराब हो गई थी और मन भी बहुत विचलित हो गया था। मैंने रेलवे इंक्वायरी काउंटर में जाकर किसी अन्य ट्रेन के बारे में पता किया, तो ज्ञात हुआ 1 घंटे बाद एक दूसरी ट्रेन भी जाएगी। मैंने दूसरी ट्रेन में ही आने का फैसला किया, क्योंकि अब दो ट्रेन की सवारी एक ट्रेन में ही हो गई थी, जिसके कारण बहुत ही जबरदस्त भीड़ उस ट्रेन में हो गई थी।

 हालत ऐसे हो गए की खड़ा होना भी बहुत मुश्किल हो रहा था, जबरदस्त धक्का-मुक्की ट्रेन के अंदर चल रही थी। पूरी रात जैसे तैसे करके मैं खड़े हुए ही यात्रा करता रहा। दूसरे दिन सुबह मैं लगभग 11 बजे यमुनानगर पहुंच गया और लगभग 12:00 बजे अपनी दुकान पर जाकर पीछे कमरे में सो गया।

 इस तरह मेरे यात्रा का समापन हुआ।

जय माता दी

यह मेरी माता वैष्णो देवी की पहली यात्रा थी, जिसके अनुभव का लाभ मुझे माता वैष्णो देवी की आगामी यात्राओं में मिला।


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sehat ke liye muli khane ke fayde | सेहत के लिए मूली खाने के फायदे

आज की पोस्ट में हम जानकारी | Jankari दे रहे हैं की मानव शरीर की अच्छी सेहत के लिए मूली खाने के फायदे कौन-कौन से हैं, तथा मूली में हमें कौन-कौन से विटामिंस और स्वास्थ्यवर्धक चीजें मिलती हैं, और मूली का सेवन कैसे किया जा सकता है।


👉 मूली की खेती | radish cultivation 

👉 मूली खाने के फायदे | radish benefits 

👉 मूली खाने के नुकसान 

👉 मूली का पराठा

👉 मूली का अचार कैसे बनता है

👉 शुगर के मरीज को मूली खाने चाहिए या नहीं

👉 मूली को इंग्लिश में क्या बोलते हैं

👉 बवासीर में मूली के फायदे

👉 मूली जड़ है या तना


मूली की खेती | मूली की खेती कैसे करें

मूली की खेती के लिए 1 सितंबर से लेकर 15 नवंबर तक का समय सबसे अच्छा होता है। वैसे किसान भाई वर्षा ऋतु के समाप्त होने के बाद कभी भी मूली की फसल को बो सकते हैं मूली ठंड में अधिक पैदावार देती है।radish seeds को खेत में बोने से पहले किसान भाई खेत की जुताई करके खेत को भुरभुरा बना ले।

 जुताई करने के लिए किसान भाई देशी हल, कल्टीवेटर या हैरो का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। जुताई करने के बाद 200 से 300 कुंटल तक सड़ी गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर भूमि में अच्छी तरह से मिला लें, जिससे मूली की पैदावार अच्छी होगी। white radish की खेती करना किसान भाई ज्यादा पसंद करते हैं।




मूली खाने के फायदे | radish benefits 

मूली खाने के फायदे व्यक्ति को कई तरह से मिलते हैं। मूली  बहुत ही हेल्दी रूट वेजिटेबल में शामिल है। मूली में मुख्य रूप से पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, नियासिन, कई तरह के विटामिंस, राइबोफ्लेविन आदि प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। मूली में विटामिन सी भी पाया जाता है, जो कि एक एंटी ऑक्साइड होता है, जो फ्री रेडिकल्स से हमारे शरीर की रक्षा करता है। बढ़ती उम्र और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण होने वाली कोशिकाओं की क्षति को भी विटामिन सी रोकने का काम करता है।  

white radish benefits बहुत अधिक होते हैं। मूली व्यक्ति की इम्यूनिटी पावर को बूस्ट करती है और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल भी करती है। मूली के सेवन से कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है, क्योंकि मुली में कुछ एंटी कैंसर प्रॉपर्टी भी होती है, जोकि कैंसर के खतरे को कम करने में सहायक होती है। इसके अतिरिक्त मूली में पोटेशियम भी पाया जाता है और पोटेशियम ब्लड प्रेशर के स्तर को कंट्रोल करने में सहायक होता है। मूली खाने से व्यक्ति का heart भी स्वस्थ रहता है। मूली  उच्च ब्लड प्रेशर को कम करने में भी सहायक होती है। मूली के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है।

मूली खाने के नुकसान

मूली एक स्वास्थ्यवर्धक सब्जी है जोकि व्यक्ति के शरीर को कई तरह की समस्याओं से निजात दिलाती है। वहीं पर मूली के फायदे के साथ-साथ कुछ नुकसान भी होते हैं। ऐसा माना जाता है कि ज्यादा मूली के सेवन से मूली में मौजूद गोइट्रोजेनिक पदार्थ व्यक्ति के थायराइड हार्मोन के उत्पादन में रुकावट डाल सकते हैं और ज्यादा मुली के इस्तेमाल से थायराइड हार्मोन का स्तर असंतुलित होने की संभावना बढ़ जाती है। विशेष तौर पर थायराइड की समस्या से पीड़ित लोगों के अंदर। थायराइड से पीड़ित व्यक्तियों को डॉक्टर की सलाह से ही अधिक मूली का सेवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त अगर किसी  व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब है या उसको एलर्जी संबंधित कोई बीमारी है, तो मूली के सेवन से  पूर्व डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।


Muli ka paratha | मूली का पराठा 

मूली का पराठा बहुत ही स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक होता है। भारत में तो मूली का पराठा लोग बहुत ही चाव से खाते हैं। आमतौर पर मूली का पराठा व्यक्ति दही के साथ खाना ज्यादा पसंद करते हैं।


मूली का अचार कैसे बनता है | pickled radish 

ताजी और अच्छी मूली को लेकर उसको पानी में अच्छी तरह से धोकर फिर उसको छीलकर छोटे टुकड़े बना देना चाहिए। फिर उसके ऊपर आवश्यकतानुसार हल्दी, नमक, मिर्च, राई को डालकर अच्छी तरह से मिलाकर कुछ नींबू और उसका रस भी डालकर किसी बर्तन में या जार में रख देना चाहिए। कुछ दिनों में ही मूली का अचार खाने के लिए तैयार हो जाता है। ध्यान देने की बात यह है की संपूर्ण विश्व में अलग-अलग जगह, अलग-अलग समाज में मूली का अचार बनाने की कई विधि है। हर व्यक्ति अपने इच्छा अनुसार मूली का अचार अलग-अलग  विधि से बना सकता है और चाहे तो किसी एक्सपर्ट की भी मदद भी ले सकता है।


शुगर के मरीज को मूली खाने चाहिए या नहीं

डायबिटीज के मरीजों को मूली खाना स्वास्थ्यवर्धक होता है। मूली में फाइबर की मात्रा काफी अधिक पाई जाती है, फाइबर मनुष्य के शरीर में स्थित कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद प्रदान करता है, इसके अतिरिक्त ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करती है। डायबिटीज होने पर हर व्यक्ति को खान-पान का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है और आमतौर पर डायबिटीज के मरीज को सही जानकारी ना मिलने के कारण अक्सर गलत खानपान कर लेते हैं, जिसके कारण उनका शुगर लेवल काफी बढ़ जाता है। बार-बार शुगर लेवल बनना कई शारीरिक समस्याओं को जन्म दे देता है।

 जिन व्यक्तियों को डायबिटीज है उनको इसका विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। शुगर के मरीजों को मूली का इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए। ठंड के मौसम में मूली सब्जी बाजार में बहुतायत से और सस्ती मिलती है।


मूली को इंग्लिश में क्या बोलते हैं | spelling of radish 

 मूली को अंग्रेजी में radish बोलते हैं।

मूली के पत्ते खाने के फायदे | radish leaves benefits 





मूली का ऊपरी हिस्सा खाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। मूली के पत्तों का स्वास्थ्य के लिए लाभकारी प्रभाव होता है, मूली के पत्तों से साग और भुजी बनाकर खाई जा सकती है।

मूली जड़ है या तना | radish is root or stem 

मूली एक जड़ | root है।

सफेद मूली को कैसे खा सकते हैं।




सफेद बोली को कच्चा सलाद के रूप में खाया जा सकता है। इसके साथ ही सफेद मूली का पराठा, सफेद मूली का अचार, सफेद मूली का सूप, सफेद मूली को सैंडविच में डालकर भी प्रयोग किया जा सकता है।


 मूली खाने से गैस की समस्या

यह कथन सही है कि बोली खाने से व्यक्ति को पेट में गैस कुछ अधिक बनती है इसलिए जिन व्यक्तियों को जो व्यक्ति पेट की गैस से पीड़ित है ऐसे व्यक्तियों को मूली के सेवन से पूर्व डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।


रात को मूली खाने के नुकसान

मूली की सब्जी का सेवन करने से पेट में कुछ गैस भी बनती है। जिन व्यक्तियों को गैस की या पाचन की समस्या हो, ऐसे व्यक्तियों को मूली खाने से थोड़ा बचना चाहिए। मगर रात में मूली खाने से नुकसान के बाबत अभी कोई उचित वैज्ञानिक शोध हमारे सामने नहीं आया है। यही कहा जा सकता है की इस बारे में व्यक्तियों के बीच में मतभेद हैं।

भारत के किसान भाइयों के बीच में मूली की खेती अत्यंत लोकप्रिय है। भारतवासी मूली के पराठे बड़े चाव से खाते हैं। इसके अतिरिक्त मूली को सलाद तथा अचार के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।

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भारत सरकार ने चीनी निर्यात पर पाबंदी एक वर्ष के लिए और बड़ाई | government of India ne suger ke export per rok ki avdhi 1 vrsh ke liye aur badhai


भारत सरकार ने एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए देश से होने वाले चीनी के निर्यात की अवधि 1 वर्ष के लिए और बढ़ा दी है। अब चीनी के निर्यात पर पाबंदी 31 अक्टूबर 2023 तक लागू रहेगी। भारत सरकार द्वारा यह महत्वपूर्ण निर्णय देश के घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए किया गया है। ध्यान रहे विगत कुछ समय में ही देश में चीनी की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है, इसके कारण भारत सरकार के भी कान खड़े हो गए थे तथा महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। इससे पूर्व भारत सरकार द्वारा गेहूं और चावल पर भी  निर्यात में कुछ पाबंदियां लगाई गई थी। भारत सरकार के विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा ज़ारी की गई अधिसूचना के अनुसार कच्ची रिफाइंड तथा सफेद चीनी के निर्यात पर लगी पाबंदी को 31 अक्टूबर 2023 या अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया गया है तथा इससे संबंधित शेष सभी शर्तें पूर्ववत रहेगी।  निर्यात संबंधित यह पाबंदियां अमेरिका तथा यूरोपीय संघ को सीएक्सएल वह टीआरक्यू शुल्क रियायत कोटे के तहत निर्यात पर लागू नहीं होंगी। Department of agriculture द्वारा भारत में कृषि के विकास के लिए काफी कार्य किए जा रहेे हैं। इसके अतिरिक्त भारत में जैविक खेती | organic agriculture को भी सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है।


Sugercane | गन्ने से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां




वर्तमान समय में भारत विश्व का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक देश है तथा विश्व का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश भी है। भारत में एक हेक्टर भूमि | bhumi में लगभग 500 कुंटल से 800 कुंटल तक गन्ने की पैदावार होती है। भारत में बड़ी संख्या में सैकड़ों की तादाद में चीनी मिले हैं, जिनसे चीनी का उत्पादन होता है। भारत विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक देश होने के साथ-साथ वर्तमान वित्तीय वर्ष में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश भी रहा है। भारत में उत्तर प्रदेश राज्य से देश के कुल होने वाले चीनी के निर्यात में 20 से 25 परसेंट तक की भागीदारी होती है और उत्तर प्रदेश देश के चीनी निर्यात में सबसे ज्यादा योगदान देता है। उत्तर प्रदेश राज्य में लगभग 120 चीनी मिले हैं। पिछले उत्पादन सत्र में इस राज्य की bhumi में पैदा हुए गन्ने से लगभग  102 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।


 गन्ने से पैदा होने वाले उत्पाद | which product made by sugarcane

गन्ने से कई उत्पाद | product तैयार किए जाते हैं। गन्ने के रस से चीनी बनती है। गन्ने के रस से ही खांड का उत्पाद होता है। गन्ने के रस से ही ही गुड़ तथा शक्कर का उत्पाद होता है। इसके अतिरिक्त गन्ने | sugercane से ही सिरका का निर्माण किया जाता है। देश में पेट्रोल में मिलाने के लिए वर्तमान समय में एथेनॉल को मिक्स किया जा रहा है। एथनॉल का निर्माण भी गन्ने के द्वारा ही होता है। इसके अतिरिक्त गन्ने की खोई से गत्ता तथा कागज का निर्माण भी किया जाता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि गन्ना की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण है तथा लाखों लोग इसकी खेती से रोजगार पाते हैं। Agriculture Industries  द्वारा भी लाखों लोगों को रोजगार दिया जा रहा है।


गन्ने के मानव शरीर में फायदे | benefits of sugarcane to human body

गन्ने में सुक्रोज की मात्रा ज्यादा पाई जाती है जो कि मानव शरीर के लिए बहुत उपयोगी है तथा इसके द्वारा मानव शरीर को जल्दी ही ऊर्जा मिल जाती है। गन्ने के सेवन से व्यक्ति को थकान और सुस्ती दूर हो जाती है। गन्ना मानव शरीर में  ग्लूकोज की मात्रा को नार्मल करता है। जिससे शुगर के लेवल को रिस्टोर करने में मदद मिलती है।

sehat ke liye ramban hai chukander ka Sevan

beetroot|चुकंदर एक चुकंदर नेचुरल फूड होता है। चुकंदर नेचुरल खाने की चीज होता है। चुकंदर मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है चुकंदर का इस्तेमाल हमारे द्वारा कई तरह से किया जाता है जैसे beat salad, beetrootpowder, beets juice, juicing a beet, juice with beatroot, beet root juice, beet fruit,beet juice supplement etc.



what are the benefits of beetroot| चुकंदर खाने के फायदे क्या-क्या है

आज की hindidada.in की इस पोस्ट में हम चुकंदर के फायदे बाबत जानकारी देने का प्रयास करेंगे। चुकंदर के फायदे क्या-क्या होते हैं होते हैं, चुकंदर खाने के फायदे क्या-क्या होते हैं?

चुकंदर खाने के फायदे | beet benefits 

चुकंदर ईश्वर तथा प्रकृति का मानव को दिया गया बेहतर उपहार है। चुकंदर मानव शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। यह गुणों का भंडार है। चुकंदर नेचुरल फूड होता है। नेचुरल खाने की चीज होता है। चुकंदर में विटामिन, मिनरल्स, एंटी ऑक्साइड आदि पर्याप्त मात्रा में होते हैं। चुकंदर का सेवन बुढ़ापे को रोकता है। चुकंदर को सलाद के रूप में खाने से शरीर की सूजन को राहत मिलती है। यह स्किन के लिए भी अच्छा होता है।


चुकंदर का जूस पीने से किडनी, फेफड़े स्वस्थ रहते हैं, तथा चुकंदर के सेवन से आंखों की ज्योति भी बढ़ती है। चुकंदर में विटामिन ए, विटामिन डी, विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है। विटामिन डी मानव शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाता है, जबकि विटामिन ए आंखों की ज्योति बढ़ाता है। वही विटामिन सी खून के थक्का जमाने के लिए अच्छा होता है। स्किन के लिए भी विटामिन सी अच्छा होता है। ब्लीडिंग रोकने के लिए भी विटामिन सी सहायक होता है।


 100 ग्राम चुकंदर में लगभग 8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होती है। 

👉 चुकंदर | beetroot वजन कम करने के लिए भी सहायक होता है।
👉 चुकंदर | beetroot मनुष्य का स्टैमिना बढ़ता है।

👉 चुकंदर | beetroot थकान दूर करता है।

👉 चुकंदर|beet root याददाश्त बढ़ाता है।

 👉 चुकंदर|beet root कैल्शियम से भरपूर होता है।

 👉 चकुंदर|beet root मानव शरीर में आयरन की कमी दूर करता है।

👉 चकुंदर|beetroot ब्लड प्रेशर को भी काम करता है।

 👉 चकुंदर|beetroot हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है।

👉 चकुंदर| beet root पाचन तंत्र को बढ़ाता है।

 ऐसा माना जाता है की 100 ग्राम चुकंदर में 40 कैलोरी होती है। चुकंदर को सलाद, चटनी, जूस, सब्जी, beet root powder, beetroots juice, beet fruit, beet juice powder, beets for salad आदि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।